Monday, 16 March 2015

एंटीबायोटिक दवाइयां-माइंक्रोफ्लोरा : नष्ट करती है


एंटीबायोटिक दवाइयां-माइंक्रोफ्लोरा : नष्ट करती है

एंटीबायोटिक दवाइयां सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा बनाई जाती हैं जो दूसरे-जीवाणुओं को मार देती हैं। परन्तु मानव शरीर पर कम प्रभाव डालती हैं। बैक्टीरियल एंटीबायोटिक दवाएं ‘ब्राड स्पैक्ट्रम’ प्रभाव वाली होती है। वे तुरंत आराम देती है। एलैग्जैण्डर फ्लेमिंग ने 1928 में पैंसिलीन दवाई का निर्माण उल्ली पैनीसीलियमनोट्रेटेक द्वारा किया। एक्टीनोमाईसीन, स्टैप्टोमाईसीन आदि दवाओं का निर्माण 1942 को हुआ था। पिछले पचास वर्षों में 7000 एटीबायोटिक दवाओं का निर्माण हुआ है। हर वर्ष 300 ने एंटीबायोटिक खोजे जाते हैं। यह दवाएं-बैसीलस और सूडोमोनस बैक्टीरिया से बनती है। स्ट्रेप्टामाइसीज ग्रुप में 40 से ज्यादा एंटीबायोटिक दवाएं बनती हैं- दवाओं के अतिरिक्त-मछली और मीट की प्रिजर्व करने में भी प्रयोग होते हैं। टीबी के 20 प्रतिशत से ज्यादा लोगों पर एंटीबायोटिक दवा का भी असर नहीं होता। इनसे दस्य या डायरिया होने का खतरा रहता है।
हमारी आंतों में ई-कोलाई लाभदायक बैक्टीरिया रहते हैं वह हमारे लिये विटामिन बी. और के.बनाते हैं। वे भी नष्ट हो जाते हैं। अत: हमारी आंतों का माईक्रोफ्लोरा बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है- दवाइयां लेते समय सदा सावधानी बरतें।
* एंटीबायोटिक लाभदायक तो होते हैं परन्तु वे हमारे शरीर के माइक्रोफ्लोरा पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। अंतड़ियों में पनपने वाले लाभदायक बैक्टीरिया को मार देते हैं।
* अत: किसी योग्य डाक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक दवाइयां प्रयोग में न लाएं। जब किसी दवाई का कोर्स शुरू करें तो कोर्स पूरा करके ही दवाई छोड़ें।
* ज्यादा शक्तिशाली एंटीबायोटिक प्रयोग में न लाएं। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।
* वायरल इन्फैक्शन के लिये एंटीबायोटिक दवा न लें। जुकाम के लिए एंटीबायोटिक न खाएं

kumarhealth.blogspot.in

Monday, 2 March 2015

Cervical Cancer Awareness | सर्विक्स का कैंसर



भारतीय महिलाओं में सबसे अधिक सरविक्स का कैंसर होता है, और यह सबसे अधिक, कैसर के द्वारा, मौत का कारण होता है।
Female genitalia

1.  "सर्विक्स" किसको कहते हैं?

  • स्त्री के बच्चादानी या गर्भ में तीन भाग होते हैं - युटेरस, सरविक्स और वजाईना। बच्चादानी के उपर के भाग को युटेरस को कहते हैं, जिसमे गर्भ ठहरता है। वजाईना बच्चादानी के बाहरी मुंह को कहते हैं, जिससे बच्चा पैदा होता है। इन दोनों के बीच के हिस्से को सर्विक्स कहते है।
  • सर्विक्स, बीच में, एक रास्ता का काम करता है।
    • जब गर्भ नहीं होता है, तो सर्विक्स के द्वारा मासिक धर्म होता है।
    • गर्भ के दौरान, सर्विक्स का मुहं बंद रहता है, जिससे की गर्भ में अजन्मा बच्चा सुरक्षित रहता है।
    • प्रसव के दौरान, सर्विक्स का मुंह खुल जाता है, और बच्चा पैदा होता है।

2.  "सर्विकल कैंसर" किसको कहते हैं?

  • सर्विक्स में कैंसर को सर्विकल कैंसर कहते हैं|

Cancer | कैंसर



1.  कैंसर का प्रकोप

2.  सर्विक्स का कैंसर (Cervix)

3.  स्तन या ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer)

Pink Ribbon for Breast Cancer Awareness
ब्रेस्ट कैंसर का चिन्ह

Deep Vein Thrombosis | डीप वेन थ्रोम्बोसिस



1.  किसे कहते हैं?

जब खून के नसों में खून का थक्का जम जाता है, उसेथ्रोम्बोसिस कहते हैं| अगर यह शरीर के भीतरी नसों में होता है, तो उसे डीप वेन थ्रोम्बोसिस कहते हैं| यह अकसर पैर के नसों में होता है|

2.  क्या महत्व है?

अगर यह जमा हुआ खून का थक्का, पैर से निकल कर फेफड़ों तक पहुंच जाता तो यह भयानक बीमारी कर सकता है या फिर जानलेवा भी हो सकता है|

3.  क्यों होता है?

डी वी टी खून के जमने से होता है| इसके विभिन्न कारण हैं, लेकिन मुख्य रूप से दो प्रकार के कारण हो सकते हैं|
  • पहला, की खून का बहाव धीरे है या रुक गया है| उदाहरण के लिए नीचे अनेक स्थिती दिए गए हैं, जिसमें कि पैर का उपयोग कम होता है -
    • किसी बीमारी या गर्भ में बिस्तर पर लेटे रहना पड़ रहा है|
    • आप अधिकतर खड़े होकर काम करते हैं, जैसे कि अध्यापक, नर्स, सर्जन या अन्य|
    • आप लंबे समय तक पैर नहीं चलाते हैं, जैसे कि बहुत देर का विमान यात्रा|
  • दूसरा कि खून में जमने का प्रवृती बढ़ गया है| खून में अनेक प्रकार के चीज होते हैं, कुछ का काम होता है किसी कटने पर खून को जमाना और कुछ का काम होता है कि खून के नसों के अंदर खून को बहने देना| सामान्य स्थिती में, ये दोनों तरह के पदार्थ संतुलित मात्रा में रहते हैं| अगर किसी कारण से यह संतुलन बिगड़ता है, तो नसों के अंदर खून जम सकता है| उदाहरण के लिए नीचे अनेक स्थिती दिए गए हैं -
    • किसी भी प्रकार का सर्जरी, जो कि पैर, जांघ, कमर या पेल्विस पर किया गया हो|
    • कैंसर होने से डी वी टी का खतरा बढ़ जाता है|
    • धूम्रपान करने से डी वी टी का खतरा बढ़ जाता है|
    • दिल का बीमारी जिसमें दिल कमजोर हो जाता है | इसे कांजेसटिव हार्ट फैलिअर (congestive heart failure) कहते हैं| इस स्थिती में दिल पूरे तरह से खून को पम्प करने में सक्षम नहीं होता है, और खून पैरों में जमा होने लगता है|
    • पैर के नसों के कमजोरी से जिसमें भी खून पैरों में जमा होने लगता है| सामान्य स्थिती में खून को पैर से दिल के तरफ लौटना चाहिए| इसमें पैर में एक तरफ जाने के लिए वाल्व होता है, जो खून का बहाव को दिल के तरफ रखता है| अगर नसों के वाल्व में कमजोरी आ जाता है, तो खून के बहाव में रुकावट आ जाता है, और फिर पैर में खून जमा होने लगता है|
    • अगर आप गर्भ निरोधक गोली (oral contraceptive pills) लेते हैं
    • अगर आपको मोटापा है
    • अगर आपको मेनोपौज़ (menopause) हो चुका है

4.  लक्षण

आधिकांश समय इसका कोई लक्षण नहीं होता है| लेकिन जब खून का थक्का जमा होने लगता है, तब इसके लक्षण प्रकट हो जाते हैं| कुछ लक्षण नीचे दिए गए हैं, जो कि पैर में होते हैं| यहां पैर से मतलब है तलवा से लेकर जांघ तक कोई भी जगह|
  • पैर का फूलना
  • पैर में दर्द होना
  • पैर लहर्ना
  • पैर में अत्यन्त खुजली होना
  • पैर का रंग बदलना - लाल या नीला पड़ जाना

5.  जांच

  • सोनोग्राम (sonogram) - मशीन द्वारा बाहर से नसों का फोटो खींचना
  • वेनोग्राफी (contrast venography) - नसों में सुई द्वारा एक तरह रंग दिया जाता, और फिर उसका फोटो खीचा जाता है
  • इम्पेडांस प्लेथिस्मोग्राफी (impedance plethysmography) - इसमें बिजली के तरंगों से इस रोग का निदान किया जाता है|

6.  इलाज

इसमें खून के थक्का को गलाने के लिए दवा लिया जाता है| यह दवा अस्पताल में शुरू किया जाता है| ये दवा खून को पतला करते हैं, इसीलिय अनेक बार खून का जांच किया जायेगा| ये दवा करीब 6 महीनों तक लेने पड़ सकते हैं| साथ ही उन कारणों को पहचानना होगा जिससे आपको यह बीमारी हुआ, और उसे हटाने के लिए आपको उपाय करना होगा|

Blood Donor | रक्तदान करनेवाला



1.  रक्तदान के लिए खून कैसे चुनते हैं?

रक्तदान में दो व्यक्ति के बीच में खून का आदान-प्रदान होता है|
  • जो खून देता है, उसे डोनर (donor) कहते हैं|
  • जिसे खून प्राप्त होता है उसे रिसिपिएंट (recipient) कहते हैं|
अगर आप खून देना चाहते हैं आप किसको खून दे सकते हैं
आपके खून का प्रकार खून लेनेवाला का खून का प्रकार
(Donor) (Recipient)
   
ए पोजीटिव (A +) ए पोजीटिव (A +)
  एबी पोजीटिव (AB +)
   
ए नेगेटिव (A -) ए पोजीटिव (A +)
  ए नेगेटिव (A -)
  एबी पोजीटिव (AB +)
  एबी नेगेटिव (AB -)
   
बी पोजीटिव (B +) बी पोजीटिव (B +)
  एबी पोजीटिव (AB +)
   
बी नेगेटिव (B -) बी पोजीटिव (B +)
  बी नेगेटिव (B -)
  एबी पोजीटिव (AB +)
  एबी नेगेटिव (AB -)
   
ओ पोजीटिव (O +) ओ पोजीटिव ( O + )
  ए पोजीटिव (A +)
  बी पोजीटिव (B +)
  एबी पोजीटिव (AB +)
   
ओ नेगेटिव (O -) ए पोजीटिव (A +)
  ए नेगेटिव (A -)
  बी पोजीटिव (B +)
  बी नेगेटिव (B -)
  ओ पोजीटिव ( O + )
  ओ नेगेटिव (O - )
  एबी पोजीटिव (AB +)
  एबी नेगेटिव (AB -)
   
एबी पोजीटिव (AB +) एबी पोजीटिव (AB +)
   
एबी नेगेटिव (AB -) एबी पोजीटिव (AB +)
  एबी नेगेटिव (AB -)

Blood Recipient | खून प्राप्त करनेवाला



1.  रक्तदान के लिए खून कैसे चुनते हैं?

रक्तदान में दो व्यक्ति के बीच में खून का आदान-प्रदान होता है|
  • जो खून देता है, उसे डोनर (donor) कहते हैं|
  • जिसे खून प्राप्त होता है उसे रिसिपिएंट (recipient) कहते हैं|
अगर आपको खून चाहिये आप किससे खून प्राप्त कर सकते हैं
आपके खून का प्रकार खून देनेवाला का खून का प्रकार
(Recipient) (Donor)
   
ए पोजीटिव (A +) ए पोजीटिव (A +)
  ए नेगेटिव (A -)
  ओ पोजीटिव ( O + )
  ओ नेगेटिव (O - )
   
ए नेगेटिव (A -) ए नेगेटिव (A -)
  ओ नेगेटिव (O - )
   
बी पोजीटिव (B +) बी पोजीटिव (B +)
  बी नेगेटिव (B -)
  ओ पोजीटिव ( O + )
  ओ नेगेटिव (O - )
   
बी नेगेटिव (B -) बी नेगेटिव (B -)
  ओ नेगेटिव (O - )
   
ओ पोजीटिव (O +) ओ पोजीटिव ( O + )
  ओ नेगेटिव (O - )
   
ओ नेगेटिव (O -) ओ नेगेटिव (O - )
   
एबी पोजीटिव (AB +) ए पोजीटिव (A +)
  ए नेगेटिव (A -)
  बी पोजीटिव (B +)
  बी नेगेटिव (B -)
  ओ पोजीटिव ( O + )
  ओ नेगेटिव (O - )
  एबी पोजीटिव (AB +)
  एबी नेगेटिव (AB -)
   
एबी नेगेटिव (AB -) ए नेगेटिव (A -)
  बी नेगेटिव (B -)
  ओ नेगेटिव (O - )
  एबी नेगेटिव (AB -)