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- 1. सामान्य दिल का बनावट
- 2. इस बीमारी में क्या होता है?
- 3. सामान्य दिल में खून का बहाव
- 4. इस बीमारी में खून का बहाव
- 5. प्रकार
- 6. लक्षण
- 7. जांच
- 8. इलाज

1. सामान्य दिल का बनावट
दिल में चार चेम्बर होते हैं, दो ऊपर और दो नीचे|
- उपर के चेम्बर को एट्रियम (atrium) कहते हैं, जैसे कि बायां या लेफ्ट एट्रियम (left atrium) औरदायां या राईट एट्रियम (right atrium)| दोनों एट्रियम के बीच एक दीवार होता है, जिसे एट्रेअल सेप्टम (atrial septum) कहते हैं|
- नीचे के चेम्बर को वेंट्रिकल (ventricle) कहते हैं, जैसे कि बायां या लेफ्ट वेंट्रिकल (left ventricle)और दायां या राईट वेंट्रिकल (right ventricle)| दोनों वेंट्रिकल के बीच एक दीवार होता है, जिसेवेंट्रिकुलर सेप्टम (ventricular septum) कहते हैं|
2. इस बीमारी में क्या होता है?
इस बीमारी में राईट एट्रियम और लेफ्ट एट्रियम के बीच में एक छेद होता है, जिससे कि लेफ्ट एट्रियम से ऑक्सीजन युक्त खून और राईट एट्रियम से ऑक्सीजन रहित खून का मिश्रण होता है|
3. सामान्य दिल में खून का बहाव
- लेफ्ट एट्रियम → लेफ्ट वेंट्रिकल → एओर्टा → शरीर
4. इस बीमारी में खून का बहाव
लेफ्ट एट्रियम से दो तरफ के लिए खून का बहाव होता है|
- सामान्य बहाव: लेफ्ट एट्रियम → लेफ्ट वेंट्रिकल → एओर्टा → शरीर|
- असामान्य बहाव: लेफ्ट एट्रियम → राईट एट्रियम → राईट वेंट्रिकल → लंग्स → लेफ्ट एट्रियम | इस तरह से इसमें खून घूम कर वापस वहीं पहुंच जाता है, जहां से शुरू हुआ था| इस कारण से, दिल पर अधिक जोर पड़ता है|
5. प्रकार
एट्रेअल सेप्टम डिफेक्ट चार प्रकार के होते हैं| यह इस बात पर निर्भर करता है कि सेप्टम में छेद कहां स्थित है?
- ओस्टीय्म सेकंडम | Ostium secundum
- ओस्टीय्म प्राईम्म | Ostium primum
- साईनस वेनोसस | Sinus venosus
- पेटंट फोरमेन ओवेल | Patent foramen ovale
6. लक्षण
किसी मरीज के एट्रेअल सेप्टम में कहां छेद हैं, कितने छेद हैं, कितने बड़े छेद हैं, और भी कोई दिल का बीमारी है, और भी कोई अन्य अंग में बीमारी है, उम्र क्या है, और अन्य बातों के उपर लक्षण निर्भर करता है|
- छोटे छेद का पता भी नहीं चलता है, और बच्चे पर कोई खराब असर नहीं करते हैं|
- बड़े छेद या बहुत सारे छेद बच्चे पर खराब असर कर सकते हैं|
7. जांच
- डाक्टर द्वारा शारीरिक जांच
- एकोकार्डियोग्राम (echocardiogram) - दिल का अल्ट्रा साउंड
8. इलाज
- छोटे छेद अपने से बंद हो जाते हैं| इसके लिए कुछ महीने रुक कर, दिल का अल्ट्रा साउंड करा लेना चाहिए|
- बड़े छेद, जो अपने से बंद नहीं होते हैं, उनको सर्जरी से बंद करवाना चाहिए| बगैर इलाज के, इस छेद से दिल और लंग्स पर स्थाई हानि पहुँच सकता है| इलाज दो प्रकार के होता हैं -
- नॉन सर्जीकल इलाज (non - surgical treatment) - मतलब कि केथीटर द्वारा इलाज| केथीटर (catheter), एक पतली नली को कहते हैं, जो कि जांघ के ब्लड वेस्स्ल से घुसा कर, दिल तक पहुंचे हैं| फिर उसी नली से एक पैबंद लगा कर छेद को बंद किया जाता है| ध्यान रहे कि सभी प्रकार के छेद, इस तरीके से बंद नहीं किया जा सकता है| इस बात पर निर्भर करता है कि, कितना बड़ा छेद है, छेद का किनारा मजबूत है कि नहीं, बहुत सारे छेद हैं, और अन्य बातें|
- ओपन हार्ट सर्जरी (open heart surgery) - मतलब कि छाती और दिल खोल कर, छेद को बंद करना | छोटे छेद को सिलाई से बंद किया जाता है, और बड़े छेद के लिए पैबंद लगाया जाता है| यह एक बड़ा सर्जरी होता है, और बच्चे पर जीवन भर के लिए निशान छोड़ देता है| सर्जरी के 2 महीने बाद, बच्चा अपना सामान्य तरीके से खेल-कूद सकता है| इस सर्जरी के बाद आयु में, अन्य व्यक्ति के अनुपात में, आयु में कोई फर्क नहीं पड़ता है|
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